जीवन एक म़यखाना
कड़वे घूँट का पैमाना सा लगता है!
जीवन एक मयख़ाना सा लगता है!
शमा के आगे भी जो कुछ जलता हैं!
सब मुझ को परवाना सा लगता है!
मतलब की इस दुनिया में मुझको तो!
हर अपना भी बेग़ाना सा लगता है!
सब कुछ जाना पहचाना है मेरा तो!
पर सब कुछ अंजाना सा लगता है!
जख्म मिला,मिला तो बस अपनो से!
मेरा साया भी बेगाना सा लगता है!
गर कुछ अच्छा लगता हैं अब मुझको!
बस अपना दर ही अपना सा लगता हैं!
?-Anoop S.
13th Nov. 2019