“जीवन एक अभिव्यक्ति”
एक चालाक शातिर आदमी की कहानी में मैंने सुना है,
आज चरितार्थ देख भी रहा हूँ ?
.
चार आदमियों ने दिन स्वादिष्ट खीर बनाई.
और एक शर्त तय की .
कोई जो सबसे अच्छा स्वप्न देखेगा.
वह अगर खा सकता है,
सारी खीर यानि भरपेट खायेगा,
.
गर बची तो बाकी तीन,?
कहानी लंबी न हो इसलिये बता देता हूँ ?
उस चालाक शातिर आदमी की कहानी ?
.
वह स्वप्न देखता है कि वह करीब ढ़ाई ,
तीन बजे उठा और सारी खीर खा गया,
.
अतः इस समाज और देश को थोड़ा सीखने तथा जागने की जरूरत है कि ?
नाम स्वप्न का हो और वह व्यक्ति अपना काम कर जाये सिर्फ़ इसलिये की ?
.
उसे बेहतरीन स्वप्न देखने की आदत है ?
ऐसा कुछ नहीं आपको ?
मजदूरी करके ही खाना है,
.
मेरे द्वारा लिखित पुस्तक ?
“जीवन एक अभिव्यक्ति”
कि पहली कविता ?
“मजदूर की व्यथा” के कुछ शॉट ?