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7 Sep 2023 · 1 min read

जीवन उद्देश्य

लगी हो आग अंदर तो, चैन फिर कौन पाता है।
विचार धुंआ बनता है, और हवा में फैल जाता है।।

हर सूखे तिनको को, पतंगा आग देता है।
घास कूड़े को जलाकर ही, जंगल साफ होता है।।

जलाकर अपने अंदर को, पूर्वाग्रह से मुक्त होना है।
नई कोपलें खिलती हैं और पैदावार बढ़ता जाता है।।

अनजान जीवन में जुगनुओं के पीछे भागते रहते।
सूरज अपने अंदर हैं अंधेरे में रोशनी ढूढ़ते फिरते।।

जलाना अपने सूरज को, यही उद्देश्य हो जीवन का।
बाहर देखती आंखों से, खुद के अंदर झांकना उनका।।

यही एक जीवन है प्यारे, जानना खुद को जरूरी है।
मैं जिंदा हूँ तो क्यों हूँ, यही मरने से पहले समझना जरूरी है।।

prAstya…..

Language: Hindi
1 Like · 694 Views
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