” जीवन इक मधुगान है ” !!
मौन निमंत्रण हमें मिल रहा ,
अधरों पर मुस्कान है !!
मन की बात कही ना जाये ,
ऐसे धड़के प्राण हैं !!
सभी सुधारस यहाँ चाहते ,
यह ना अपने हाथ है !
गरल सभी को चखना पड़ता ,
सुने कौन फरियाद है !
अगर मोहना छवि मिल जाये ,
जीवन इक मधुगान है !!
पंख पसारे उड़ना चाहें ,
सब भरते परवाज हैं !
मनचाहा विस्तार कहाँ है ,
मंज़िल भी इक राज है !
पल दो पल की खुशियां सारी ,
इसका रहता भान है !!
बड़े जतन से जगी उम्मीदें ,
तुमसे लागी प्रीत है !
अपने ही बैचेन यहाँ पर ,
यही अनोखी रीत है !
मिले खनकती हँसी अगर तो ,
दुख का तो अवसान है !!
स्वरचित / रचियता :
बृज व्यास
शाजापुर ( मध्यप्रदेश )