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28 Jun 2024 · 1 min read

*जीवन-आनंद इसी में है, तन से न कभी लाचारी हो (राधेश्यामी छंद

जीवन-आनंद इसी में है, तन से न कभी लाचारी हो (राधेश्यामी छंद)
_________________________
जीवन-आनंद इसी में है, तन से न कभी लाचारी हो
हर एक अंग की चेतनता, अंतिम सॉंसों तक जारी हो
अपनों से और परायों से, किंचित न कहीं कुछ दूरी हो
थोड़ी-सी हो आवश्यकता, लेकिन चुटकी में पूरी हो
—————————————-
रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451

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