“जीवन अब तक हुआ “जीवन अब तक हुआ किसी का सगा नहीं। जीवन ठग है इसने किसको ठगा नहीं??” (यहां “जोवन” भी पढ़ सकते हैं) ■प्रणय प्रभात■