*जीवन्त*
Dr Arun Kumar shastri
जीवन्त
तकलीफ़ होती होगी न
उसको जब कोई
किसी पर थोप देता है
हुकूमत अपनी।
हर किसी को चाहिए
अपनी अपनी वसीयत।
मैं कहां खिलाफ़ हूं
आपकी स्वतंत्रता के लिए।
पर मेरी सखी कृपया
हमें भी तो हक है ना
रहें हम भी जीवन्त