जीवनामृत
इस धरा में जीव की उत्पत्ति एवं विकास का
सत्व ,
भौतिक जगत में प्राणि मात्र के अस्तित्व का
मुख्य तत्व ,
निसर्ग की संरचना एवं पर्यावरण निर्माण का
प्रमुख कारक ,
जीवन निर्वाह एवं क्रियाशीलता का
मुख्य वाहक ,
अपने विभिन्न रूपों में अपनी स्थिति से
अवगत कराता,
कभी जीवनदायक बनता तो कभी विनाश का
कारण हो जाता ,
कभी स्मित प्रपातों के रूप में विहंगम दृश्य
प्रस्तुत करता,
तो कभी रौद्र रूप में काल विकराल बना
अवसाद फैलाता ,
जल बिना जीव नही, जीवन नहीं,
यह संदेश देता ,
मानव मात्र को जीवनामृत जल एवं पर्यावरण संरक्षण का पाठ पढ़ाता ।