जीवनयापन
उगता सूरज
बहता पानी
उड़ता पक्षी
चलती पवन
बढ़ता राही
खिले सुमन
टिमटिमाते तारे
लहराती फसलें
जल लाते मेघ
जलता दीपक
सभी कहते
हैं यह बात
आगे बढो
रुको मत
मत देखो पीछे
रहो गतिशील
होगा तभी अच्छा
जीवनयापन
आनन्दित समृद्ध
खुशहाल जीवन
रहोगे सदैव खिले खिले से
सुखी संतुष्ट संतुलित शान्त स्थिर
पर यदि करोगें
अनुसरण
पोखर में रूका
सड़ा गंदा पानी
टूटा तारा
रूका हुआ राही
कटी फसलें
नीड़ में आराम
करते पक्षी
खाली बादल
मुरझाए पुष्प
रूकी रूकी हवा
सुलगी आग
निकलता धूँआ
बुझा हुआ चिराग
तो रहोगे सदैव
बुझे बुझे से
दुखी अशांत असंतुष्ट
असंतुलित असहज अस्थिर
जीवनयापन
सुखविंद्र सिंह मनसीरत