*जीवनदाता वृक्ष हैं, भरते हम में जान (कुंडलिया)*
जीवनदाता वृक्ष हैं, भरते हम में जान (कुंडलिया)
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जीवनदाता वृक्ष हैं, भरते हम में जान
हरा-भरा जग कर रहे, इनका यही विधान
इनका यही विधान, धूप में छाया देते
गर्मी जग की सोख, पेड़ क्षण-भर में लेते
कहते रवि कविराय, धन्य जो पेड़ लगाता
करता जगत प्रसन्न, धन्य जग-जीवनदाता
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रचयिता: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा, रामपुर, उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451