जीवनचक्र
जीवनचक्र
वक्त गुज़र जाता है
यादें वहीं रह जाती हैं
जिंदगी सिमटी हुई
रेत की तरह है
दिनों दिन ढल जाती है
कभी ज़िंदगी मिलती है
तो कभी मौत मिलती है
यह तो एक जीवन चक्र है
जो सत्य है सनातन है
जो अमर है पुरातन है
जो मानव माया में लिप्त हैं
वही वास्तव में भ्रमित हैं
_ सोनम पुनीत दुबे