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28 Oct 2024 · 1 min read

जीवनचक्र

जीवनचक्र
वक्त गुज़र जाता है
यादें वहीं रह जाती हैं
जिंदगी सिमटी हुई
रेत की तरह है
दिनों दिन ढल जाती है
कभी ज़िंदगी मिलती है
तो कभी मौत मिलती है
यह तो एक जीवन चक्र है
जो सत्य है सनातन है
जो अमर है पुरातन है
जो मानव माया में लिप्त हैं
वही वास्तव में भ्रमित हैं
_ सोनम पुनीत दुबे

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