जीभ/जिह्वा
जिह्वा पर माँ शारदे, लब पर बसें गणेश ।
हर-पल शुभ-शुभ बोलिये,मिलता शुभ संदेश ।। १
मृदुल वचन रसना सरस,जीवन का श्रृंगार।
जीत जीभ को लीजिए, हो उत्तम व्यवहार।। २
फसें स्वाद के जाल में, खाते छप्पन भोग ।
रखें नियंत्रण जीभ पर, रहना अगर निरोग।। ३
जीभ जन्म से ही मिले, दाँत जन्म के बाद।
दाँत टूट जाते मगर, जिह्वा देती स्वाद।। ४
दाँत चबाते हैं मगर, जिह्वा पाती स्वाद।
पता चला है स्वाद का, चख लेने के बाद।। ५
बेलगाम जो जीभ है, वो विषधर तलवार।
घाव बहुत गहरा करे, जब भी करती वार।। ६
नर्म लचीली जीभ है, होते दाँत कठोर।
जीभ उमर भर साथ दे, गये दाँत सब छोड़।। ७
जिससे हो सबका भला, सदा करो वो कर्म।
कभी न कटुता धोलना,रखना जिह्वा नर्म ।। ८
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली