जीने ना दिया
जीने ना दिया
कभी वक्त ने तो कभी हालात ने जीने ना दिया,
जीने की हियाकत की बहुत पर… जीने ना दिया।
लोगों की फितरत से परेशाँ रहा मन अनजाना,
फैलाई किसी ने बदरंग हवा हमें जीने ना दिया।
किसी को कुछ कहने की फुर्सत ही कहाँ थी हमें,
अजीब इंसान की मानसिकता…जीने ना दिया।
बैठे रहे हम समंदर के किनारे लहरों की आस में,
न हवा चली ,न चली लहरें मौसम ने जीने ना दिया।
मन था बावरा जीने की मुराद मुकम्मल करने में रहा
आंबला पडा बड़ा कमाल का कि हमें जीने ना दिया ,
मुद्दतों से इसी कशमकश में वक्त गुजारते रहे हम,
जीने की वजह मिली भी मगर उन्होंने जीने ना दिया।।
डा राजमती पोखरना सुराना