जीने की तमन्ना तो मेरी ( गजल/ गीतिका)
जीने की तमन्ना तो मेरी,वक़्त अगर जीने देगा।
प्याला प्रेम का पीना चाहूं, समय यदि पीने देगा।।
नहीं मै हिम्मत हारा हूं,देख रहा प्रकृति का नजारा हूं।
क्या क्या खेल खिलाएगा,जख्म को क्या सीने देगा।।
सुरक्षा अपनी करना सीखे,जीवन चाहे घरो में बीते।
बची रहेगी सांसे गर जो,वक़्त और नगीने देगा।।
अपनी अपनी बुद्धि लगाए,कैसे तो खुद को बचाए।
यहां वहां कहीं न जाए,अपना पन ही जीने देगा।।
बातो में मशगूल रहे, न महामारी पे ध्यान धरे।
डरे न डराए किसी को,चिंतन अनुकूल धड़कने देगा।।
जीत जाएंगे दिन यह भी बीत जाएंगे आएंगे फिर पल।
गीत खुशियों वाले वक़्त हमें गुनगुनाने देगा।।
— कवि — राजेश व्यास अनुनय