जीने की कला
जीने की भी कला है
जी रहे है सब
कुछ होश में
कुछ बेहोशी में,
पर सब जी ही रहे है
रंग में भी
बेरंग में भी,
बदरंग के बचने की कोशिश में
बस जी लेते है
खुश रहने की आदत के वायदों के साथ,
सुख में भी
दुःख में भी
हँस लेते है,बोल लेते है
सह लेते है
सहनशीलता के साथ,
जीने की भी कला है ये एक
बस जी लेते है,मुस्कुरा लेते है
अपनों के साथ****
^^^^^दिनेश शर्मा^^^^^