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14 Jan 2018 · 1 min read

जीने का ढ़ंग है उत्सव.

अब आप जाने या समझे,
उत्सव है,नृत्य है,कृत्य है,
कल्पना है,हकीकत हैं,
पर है जरूर,
जीने का ढ़ंग है उत्सव,
जीवन के प्रति आभार है उत्सव,
.
गर आप गवाह है,
यही परिवर्तन है,
रूपांतरण है,
नहीं तो कुछ भी नहीं…,
कुछ भी नहीं…,
कुछ भी नहीं…।।
.
डॉ0महेंद्र

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 511 Views
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