जीने का एक अच्छा सा जज़्बा मिला मुझे
जीने का एक अच्छा सा जज़्बा मिला मुझे
रोते हुए भी जब कोई हँसता मिला मुझे
कुछ इसलिए भी मुझसे वो आगे निकल गया
ऐसा हुआ कि देर से रस्ता मिला मुझे
पूछा जो ज़िंदगी से तो नज़रें झुका गई
पूछा भी सिर्फ़ इतना था क्या क्या मिला मुझे
मुझको नया सा कोई भी रस्ता नहीं मिला
फिर ख़ुदकुशी के वास्ते पंखा मिला मुझे
फ़ानी हुए जहाँ से ये अहसास तब हुआ
दो गज़ का एक छोटा सा हिस्सा मिला मुझे
~अंसार एटवी