जीना होता आज
मौज मनाएं नाचें गाएं, कर लें मन के काज
मौत हमेशा कल होती है, जीना होता आज
कुछ न बिगाड़ें कभी किसी का, करें सभी का मान
कर्म करें ऐसे कि देश की, बढ़े निरन्तर शान
धुन के पक्के बनें, सफलता, का है यह ही राज
मौत हमेशा कल होती है, जीना होता आज
कसर न छोड़ें तैयारी में, करें न कोई भूल
बचें शार्टकट से सदैव ही, सींचें तरु की मूल
मूल बढ़ाते रहें हमेशा, स्वयं बढ़ेगा ब्याज
मौत हमेशा कल होती है, जीना होता आज
परमात्मा को धन्यवाद दें, देता नीर समीर
पड़े जरूरत सहना सीखें, भूख-प्यास की पीर
तब ही हमको सिद्धि मिलेगी, होगा सिर पर ताज
मौत हमेशा कल होती है, जीना होता आज
हमें हताश नहीं होना है, यदि हो जाएं फेल
हमें चलाते ही रहना है, कर्तव्यों की रेल
अपनी गलती स्वयं सुधारें, इसमें कैसी लाज
मौत हमेशा कल होती है, जीना होता आज
कर्मशील को मान एक दिन, देता देश विदेश
परहित जिएं, मिलेगा सब कुछ, शंका करें न लेश
सारे लोग करेंगे हम पर, आंख मूंदकर नाज
मौत हमेशा कल होती है, जीना होता आज।
महेश चन्द्र त्रिपाठी