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12 Sep 2017 · 1 min read

जीना नहीं तेरे बिना

जब से साथ तुम्हारा पाया जब से तुम्हें पहचाना।
तुमने मुझे सिखाया किसे कहते हैं साथ निभाना।।
दुख की परछाई हो या हो मुसीबतों के अंधेरे।
इनसे पहले ही आ जाते तुम्हारे सहारों के घेरे।।
पल पल का यह अपनापन मुझको देता है जीवन।
साथ तुम्हारा मांगे मेरी हर सांस की आवन-जावन।।
मेरी उमर भी लग जाए तुमको छूने न पाएं बलाएं।
हर क्षण हर पल मेरा दिल देता है तुमको दुआएं।।

—रंजना माथुर दिनांक 28/02/2015
मेरी स्व रचित व मौलिक रचना
©

Language: Hindi
407 Views
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