जीद्द
जीद्द ने थामा
उम्मीद का दामन
हौसलों ने पतवार दिया ।
हिचकोले खाता रहा
लहरों के इशारे
पुरा मझधार जिया ।
दुरी नाप ली साहिल से साहिल तक
नुक्ताचीं की हर महफिल तक ।
ठहराया गया झुठा
खुद में बहुत टुटा ।
कामयाबी के लिए क्या कुछ न झेला
कामयाब होकर रह गया अकेला ।