जीत
चाहता है पूरा जहां जीतने को,
पर खुद को जीत ना पाता है
इन्द्रिय सुख मे बंधा हुआ
तू मन को जीत ना पाता है
हे मानव! तू किसको मूर्ख बनाता है?
चाहता है पूरा जहां जीतने को,
पर खुद को जीत ना पाता है
इन्द्रिय सुख मे बंधा हुआ
तू मन को जीत ना पाता है
हे मानव! तू किसको मूर्ख बनाता है?