जीत रही है जंग शांति की हार हो रही।
जीत रही है जंग शांति की हार हो रही।
मानव की चीत्कार ना जाने कहां खो रही।।
मानव बन कर दानव क्यों ललकार रहा है।
अमन चैन की कोशिश क्यों बेकार हो रही।।
जीत रही है जंग शांति की हार हो रही।
मानव की चीत्कार ना जाने कहां खो रही।।
मानव बन कर दानव क्यों ललकार रहा है।
अमन चैन की कोशिश क्यों बेकार हो रही।।