जीत का विधान
जीत का विधान
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जीत का विधान हौसलों भरी उड़ान हो।
जीत जल जमीन आसमान या जहान हो।।
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लक्ष्य, लक्ष्य, लक्ष्य, लक्ष्य एक ही बनाइये।
लक्ष्य-भेद-तीर लक्ष्य-लक्ष्य पर चलाइये।
लक्ष्य जीत के सदैव स्वप्न भी महान हो।
दृढ़-विचार, आत्मशक्ति,धैर्य की खदान हो।
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प्रेरणा बने प्रयास निज, सदैव राह में।
तीन लोक शक्ति साथ-साथ वाह-वाह में।
श्रेष्ठतम प्रयास, अल्प-कामना बखान हो।
जीत, जीत, जीत लक्ष्य-जीत आह्वान हो।।
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धारणा नवीन, धर्म, दिव्य ज्योति लाइये।
शक्तियाँ असीम, नेक कर्म में लगाइये।
साँस-साँस, नब्ज-नब्ज, पे सदा गुमान हो।
राग -द्वेष से परे, जहान में मकान हो ।।
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कल्पना नई-नई, विचार कर बढ़े चलो।
नित नये प्रयोग, शोध, जीत के गढ़े चलो।
राह की उतार का, चढ़ाव का निदान हो।
लक्ष्य जीतना सदैव आन-बान-शान हो।।
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संतोष बरमैया #जय