जीत कर तुमसे
हर ख़ुशी तुम पे वार जायेंगे।
जीत कर तुमसे हार जायेंगे।
ज़िन्दगी, मुस्कुरा के हम तेरा,
क़र्ज़ सारा उतार जायेंगे।
पेशरू दिक़्क़तें तभी होंगी,
आप हद से जो पार जायेंगे।
हम बहारों को लाके गुलशन की,
हर कली को निखार जायेंगे।
ख़ार कितने भी आयें रस्ते में,
हम कुचल कर ही पार जायेंगे।
‘शाद ‘ जो भी ग़म हैं हम उनको,
हंसते – हंसते गुज़ार जायेंगे।
डाॅ फ़ौज़िया नसीम शाद