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30 Jun 2020 · 1 min read

जीत कर जिससे मैं हारा था कभी

जीत कर जिससे मैं हारा था कभी
जिंदगी से भी वो प्यारा था कभी

बन गया है अजनबी सा आज जो
मीत वो भी तो हमारा था कभी

दौड़कर दरवाजे पर वो आ गया
घंटियां बजना इशारा था कभी

खोल कर उनका दरीचा देखना
जब बहाने से पुकारा था कभी

बेबसी ने इतना बेबस कर दिया
पहले उनमें भी तरारा था कभी

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