“”जीते हैं अपनी ही मस्ती में””गजल /गीतिका
पुल झूठे न तारीफों के बांधिए।
हम शरीफों की बस्ती में।
हकीकतों में जीना सिखा ,
जीते है अपनी ही मस्ती में।।
न वादे चाहिए ,इरादे ही मजबूत हैं हमारे।
निकल जाएंगे तैरकर,
बैठना नहीं हमें कागज की कश्ती में।।
मेहनतकश है, मिलता इसी में रस है।
परखना चाहो तो कुछ दिन ठहरिए ,
हमारी प्यारी बस्ती में।।
बिना कहे काम करते हैं,
सभी का करते सहयोग हम।
वह भी क्या काम ? करवाया जाए जो जबरदस्ती में।।
! राजेश व्यास अनुनय !