जींदगी ही मिली उधार की
जींदगी ही मिली उधार की
जरूरत है इसमे अभी सुधार की
जींदगी…….
कहे गये हम मानवता के पुजारी
झूठ का सहारा है बने कैसे त्रिपुरारी
नही रहे सच के पद चिन्हों के निशान
तो सभ्यता का हो कैसे मिलान
झूठ की वाहवाही में हमने जींदगी गुजार दी
जींदगी……..
जरूरत है………