जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप
जिस सनातन छत्र ने, किया दुष्टों को माप
उसे बदनाम कर रहे हैं, आस्तीनों के सांप।
जो अनादि है अनंत, जिसका ना कोई पार है
क्या मिटाएगा मूर्ख उसे, तेरी बुद्धि में न सार है।
महिमा सनातन धर्म की, होगी कभी न कम
चाहे असुरन फौज भले, लाख करे जतन।