जिस दिशा में नफरत थी
विश्व शांति का स्वप्न सँजोये
विश्व भ्रमण को निकली थी
नही अछूता वह कोना भी
जिस देश मे नफरत रहती थी।
प्यार बाँटना रीति हमारी
नफरत है पनाह मांगती
हमने थोपा नही युद्ध है
दुनिया हमसे शरण मांगती।
हम शांति के अग्रदूत है
प्रहरी इस प्रस्तर वीरान के
मेरे नाम की उपमा होती
दुनिया के हर एक कोने में।
धर्म हमारी धूरी ठहरी
ज्ञान विवेक दो पहिये है,
सत्य के स्यंदन पर सवार
विश्व विजय को निकले है।
अधर्म काँपता है हमसे
असत्य मांगता है पनाह
बदले की आकांक्षा में अब
सब कुछ हो गया है स्वाह।
मतलब इसका बुजदिली नही
बस विश्व बचाना चाहते है
आणविक हथियार के जखीरे
पर बैठना नही हम चाहते है।
जो कुछ मिला है पुरखों से
आगे उसे बचाना है
निर्मेष नयी पीढ़ी को अपने
सुखद भविष्य दिखाना है।