Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
ओंकार मिश्र
10 Followers
Follow
Report this post
26 Nov 2023 · 1 min read
इरशा
जिस तरह कीड़ा कपडों को कुतर डालता है।
उसी तरह इरशा और कलह मुनुष्य के मन को कुतर डालता है।।
Tag:
Quotation
,
Quote Writer
Like
Share
1 Like
· 187 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
You may also like these posts
‘प्यारी ऋतुएँ’
Godambari Negi
झील का पानी
Kanchan Advaita
Hello
Yash mehra
"फितरत"
Dr. Kishan tandon kranti
माँ की पीड़ा
Sagar Yadav Zakhmi
रोशनी की किरण
Juhi Grover
तालाश
तारकेश्वर प्रसाद तरुण
*नारी के सोलह श्रृंगार*
Dr. Vaishali Verma
डुबो दे अपनी कश्ती को किनारा ढूंढने वाले
Sahil Ahmad
महायुद्ध में यूँ पड़ी,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
परेशानियों से न घबराना
Vandna Thakur
मेरे जीतने के बाद बहुत आएंगे
Ankita Patel
शीर्षक - चाय
Neeraj Agarwal
गीत - मेरी सांसों में समा जा मेरे सपनों की ताबीर बनकर
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
गांधी के साथ हैं हम लोग
Shekhar Chandra Mitra
नशीली चाँदनी
शशि कांत श्रीवास्तव
विभूता
Shekhar Deshmukh
#शीर्षक- नर से नारायण |
Pratibha Pandey
जब दिल लग जाये,
Buddha Prakash
सदा दे रहे
अंसार एटवी
Mental health
Bidyadhar Mantry
पड़ जाएँ मिरे जिस्म पे लाख़ आबले 'अकबर'
Dr Tabassum Jahan
भारत की सेना
Satish Srijan
प्रकृति की गोद
उमा झा
घर की सब दीवार
RAMESH SHARMA
*मिक्सी से सिलबट्टा हारा (बाल कविता)*
Ravi Prakash
मेरा लोकतंत्र महान -समसामयिक लेख
Dr Mukesh 'Aseemit'
कोहरे के दिन
Ghanshyam Poddar
वसन्त
Madhuri mahakash
🙅समस्या का मूल🙅
*प्रणय*
Loading...