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21 Aug 2024 · 1 min read

जिस की दुराग्रही खोपड़ी में बदले की विष-बेल लहलहा रही हो, वहा

जिस की दुराग्रही खोपड़ी में बदले की विष-बेल लहलहा रही हो, वहां बदलाव की सोच का अंकुरण कदापि संभव नहीं।

👌प्रणय प्रभात👌

1 Like · 34 Views
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