जिस की दुराग्रही खोपड़ी में बदले की विष-बेल लहलहा रही हो, वहा
जिस की दुराग्रही खोपड़ी में बदले की विष-बेल लहलहा रही हो, वहां बदलाव की सोच का अंकुरण कदापि संभव नहीं।
👌प्रणय प्रभात👌
जिस की दुराग्रही खोपड़ी में बदले की विष-बेल लहलहा रही हो, वहां बदलाव की सोच का अंकुरण कदापि संभव नहीं।
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