जिसके जान से ही मेरी पहिचान है
जिसके जान से ही मेरी पहिचान है,
तुम नही तो दिन मेरा सूनसान है।
नजरे है कटीली दिलपर आ लगी,
आंखे तो उसकी पूरी धनुष का बान है।
आने लगी हवा के झोके से पास मे,
सब जानते है वो मेरी दिल ओ जान है।
आवाज दे रहा हूं करीब आओ तुम,
वो तो मेरी सुबह की पहली अजान है।
छेड़ दोगे मेरे तंत्री को जब कभी,
निकले जो स्वन वो सुंदर सी गान है ।
विन्ध्यप्रकाश मिश्रा