जिसके करीब रहता हूँ, वो है मेरी गज़ल।
गज़ल
काफिया- आ
रदीफ़- हूं वो है मेरी गज़ल
2212…….1212…….2212…….12
जिसके करीब रहता हूँ, वो है मेरी गज़ल।
लब से जो गुनगुनाता हूँ वो है मेरी गज़ल।
रातों को जाग जाग कर के सोचता जिसे,
ख्वाबों में साथ पाता हूँ वो है मेरी गज़ल।
नीली हैं आँखें झील सी लब हैं गुलाब से,
देखूँ तो मुस्कुराता हूँ, वो है मेरी गज़ल।
मुक्तक व दोहा सोरठा जलने सभी लगे,
गीतों के साथ गाता हूँ वो है मेरी गज़ल।
जब भी बहर में देखिए क्या हुस्न औ अदा,
मिलते ही झूम जाता हूॅं वो है मेरी गज़ल।
जो काफ़िया- रदीफ़ हैं बच्चे हैं उसके दो,
उनको भी प्यार करता हूँ वो है मेरी गज़ल।
प्रेमी हूँ चाहता रहूंगा उसको बेशुमार,
सजदे में बैठ जाता हूँ वो है मेरी गज़ल।
……..✍️ सत्य कुमार प्रेमी