जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं।
जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं।
छुपी हुई चाहत को जताने में जमाने लगे हैं।
यह तरन्नुम आपकी मौजूदगी का असर है।
आपको देखते ही हम गुनगुनाने लगे हैं।
By करन मीना केसरा
जिसकी जुस्तजू थी,वो करीब आने लगे हैं।
छुपी हुई चाहत को जताने में जमाने लगे हैं।
यह तरन्नुम आपकी मौजूदगी का असर है।
आपको देखते ही हम गुनगुनाने लगे हैं।
By करन मीना केसरा