जिसकी आँखों का पानी मर जाता है….
■◆ गीत ◆■
जिसकी आँखों का पानी मर जाता है।
ऐसा मानव बनता भाग्यविधाता है।।
सुखद कल्पनाएँ कोई कैसे पाले,
धैर्य मनुज जब ऐसे क्षण में खोता है।।
साहस का अपमान नहीं होता जग में,
सतत् परिश्रम का फल कुछ तो होता है।।
हार मान जाना कायरता होती है,
कर्मशील निश्चित सम्मानित होता है।।
क्षुधित जीव की क्षुधा तृषा जो मिटा सके,
प्राण वही वास्तविक अन्नदाता है।।
दुखी दिखे तो जिसका दिल दुख जाता है।
नम आंखों से आँसू झर-झर आता है।।
सच कह दूं तो वह ही भाग्यविधाता है।।
सेवा – भाव हृदय में जिसके पनप गया,
ऐसा मानुष महाप्राण बन जाता है।।
जिसकी। आखों का पानी मर जाता है।
वही पुरुष जग में शैतान कहाता है।।
मौलिक व स्वरचित – कौशल कुमार पाण्डेय “आस”
१३ – ०१ – २०१८ /शुक्रवार।।