*जिसका सुंदर स्वास्थ्य जगत में, केवल वह धनवान है (हिंदी गजल)
जिसका सुंदर स्वास्थ्य जगत में, केवल वह धनवान है (हिंदी गजल)
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1)
जिसका सुंदर स्वास्थ्य जगत में, केवल वह धनवान है
जो बूढ़ा-बीमार स्वर्ग भी, उसको नर्क समान है
2)
देख रहा हर मनुज रोज ही, चिता मनुज की जलते
फिर भी यह लग रहा मरण के, सच से वह अनजान है
3)
दो दिन में ही तेवर तन के, ढीले पड़ जाते हैं
रोग-बुढ़ापा इस धरती पर, तन का नियत विधान है
4)
बूढ़ों को देखो करीब से, उनकी यात्रा जानो
झॉंक रहा उनके भीतर से, कोई लुप्त जवान है
5)
हमने भी सोचा था यह हम, कभी नहीं बूढ़े होंगे
एक दिवस दर्पण यह बोला, कल चलना शमशान है
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रचयिता : रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा ,रामपुर ,उत्तर प्रदेश
मोबाइल 9997615451