Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2022 · 1 min read

जिल्लत की ज़िंदगी

आख़िर यह देश किसका है!
आजकल दलितों में चर्चा है!!
इस ज़िल्लत की ज़िंदगी से
क्या मुक्ति का कोई रस्ता है!!
Shekhar Chandra Mitra
#अवामीशायरी #चुनावीकविता
#इंकलाबीशायरी #सियासीशायरी

Language: Hindi
317 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.

You may also like these posts

जीने केक् बहाने
जीने केक् बहाने
Sudhir srivastava
मेरी कलम आग उगलेगी...
मेरी कलम आग उगलेगी...
Ajit Kumar "Karn"
जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो
जरूरत के वक्त जब अपने के वक्त और अपने की जरूरत हो उस वक्त वो
पूर्वार्थ
23/153.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
23/153.*छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
बेज़ार होकर चले थे
बेज़ार होकर चले थे
Chitra Bisht
यादों की तस्वीर
यादों की तस्वीर
Dipak Kumar "Girja"
केवल पंखों से कभी,
केवल पंखों से कभी,
sushil sarna
यूं बातें भी ज़रा सी क्या बिगड़ गई,
यूं बातें भी ज़रा सी क्या बिगड़ गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सत्य साधना
सत्य साधना
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
शिक़ायत (एक ग़ज़ल)
शिक़ायत (एक ग़ज़ल)
Vinit kumar
sp96 आता हुआ बुढ़ापा
sp96 आता हुआ बुढ़ापा
Manoj Shrivastava
कल्पना के पृष्ठ नूतन पढ़ रही हूँ।
कल्पना के पृष्ठ नूतन पढ़ रही हूँ।
Pratibha Pandey
जिंदगी झंड है,
जिंदगी झंड है,
कार्तिक नितिन शर्मा
"सर्वाधिक खुशहाल देश"
Dr. Kishan tandon kranti
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
काव्य-अनुभव और काव्य-अनुभूति
कवि रमेशराज
शेष है -
शेष है -
PRATIBHA ARYA (प्रतिभा आर्य )
King of the 90s - Television
King of the 90s - Television
Bindesh kumar jha
*मनायेंगे स्वतंत्रता दिवस*
*मनायेंगे स्वतंत्रता दिवस*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
ग़ज़ल(चलो हम करें फिर मुहब्ब्त की बातें)
डॉक्टर रागिनी
*जी रहें हैँ जिंदगी किस्तों में*
*जी रहें हैँ जिंदगी किस्तों में*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
ख्वाब उसी के पूरे होते
ख्वाब उसी के पूरे होते
लक्ष्मी सिंह
🙅आज का आभास🙅
🙅आज का आभास🙅
*प्रणय*
चाँद - डी के निवातिया
चाँद - डी के निवातिया
डी. के. निवातिया
बेजुबानों से प्रेम
बेजुबानों से प्रेम
Sonam Puneet Dubey
ओलम्पिक खेल का उद्देश्य
ओलम्पिक खेल का उद्देश्य
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
तुम ही रहते सदा ख्यालों में
तुम ही रहते सदा ख्यालों में
Dr Archana Gupta
अब कष्ट हरो
अब कष्ट हरो
Sarla Sarla Singh "Snigdha "
प्यार में, हर दर्द मिट जाता है
प्यार में, हर दर्द मिट जाता है
Dhananjay Kumar
अपनी नज़र में
अपनी नज़र में
Dr fauzia Naseem shad
Loading...