Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
6 May 2020 · 1 min read

-: {{ जिल्द }} :-

दिखावे की दुनिया में ,सब दिखावा करते है,,
चलो अब हम भी कुछ नया करते है
मेरे ज़ख्मो को देख बहुत बाते होती है यहाँ
आज उसमे नई ज़िल्द चढ़ा के , उसे नया करते है

Language: Hindi
5 Likes · 262 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
आँख
आँख
विजय कुमार अग्रवाल
"" *चाय* ""
सुनीलानंद महंत
रुसवा दिल
रुसवा दिल
Akash Yadav
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
Ranjeet Kumar Shukla
सारे गुनाहगार खुले घूम रहे हैं
सारे गुनाहगार खुले घूम रहे हैं
DR. Kaushal Kishor Shrivastava
* नदी की धार *
* नदी की धार *
surenderpal vaidya
कहा किसी ने
कहा किसी ने
Surinder blackpen
आजकल की स्त्रियां
आजकल की स्त्रियां
Abhijeet
"सेवा का क्षेत्र"
Dr. Kishan tandon kranti
अपने आँसू
अपने आँसू
डॉ०छोटेलाल सिंह 'मनमीत'
विश्व भर में अम्बेडकर जयंती मनाई गयी।
विश्व भर में अम्बेडकर जयंती मनाई गयी।
शेखर सिंह
चलती है जिंदगी
चलती है जिंदगी
डॉ. शिव लहरी
जागे हैं देर तक
जागे हैं देर तक
Sampada
Upon waking up, oh, what do I see?!!
Upon waking up, oh, what do I see?!!
R. H. SRIDEVI
जीवन में प्रकाश, जुगनू की तरह आया..
जीवन में प्रकाश, जुगनू की तरह आया..
Shweta Soni
"हार व जीत तो वीरों के भाग्य में होती है लेकिन हार के भय से
डॉ कुलदीपसिंह सिसोदिया कुंदन
आजादी विचारों से होनी चाहिये
आजादी विचारों से होनी चाहिये
Radhakishan R. Mundhra
अपनी मर्ज़ी के
अपनी मर्ज़ी के
Dr fauzia Naseem shad
प्यार करता हूं और निभाना चाहता हूं
प्यार करता हूं और निभाना चाहता हूं
इंजी. संजय श्रीवास्तव
छोटी-सी मदद
छोटी-सी मदद
Dr. Pradeep Kumar Sharma
मुफ़लिसों को बांटिए खुशियां खुशी से।
मुफ़लिसों को बांटिए खुशियां खुशी से।
सत्य कुमार प्रेमी
पर्यावरण में मचती ये हलचल
पर्यावरण में मचती ये हलचल
Buddha Prakash
*श्रम साधक *
*श्रम साधक *
DR ARUN KUMAR SHASTRI
रास्ते  की  ठोकरों  को  मील   का  पत्थर     बनाता    चल
रास्ते की ठोकरों को मील का पत्थर बनाता चल
पूर्वार्थ
*अच्छा रहता कम ही खाना (बाल कविता)*
*अच्छा रहता कम ही खाना (बाल कविता)*
Ravi Prakash
বড় অদ্ভুত এই শহরের ভীর,
বড় অদ্ভুত এই শহরের ভীর,
Sakhawat Jisan
अन्तिम स्वीकार ....
अन्तिम स्वीकार ....
sushil sarna
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
एक नज़र से ही मौहब्बत का इंतेखाब हो गया।
Phool gufran
तेरे भीतर ही छिपा,
तेरे भीतर ही छिपा,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
🙅संक्षिप्त समीक्षा🙅
🙅संक्षिप्त समीक्षा🙅
*प्रणय प्रभात*
Loading...