‘जियो और जीने दो’
न इंसान को मारो न जानवर को काटो ।जीयो और जीने दो। यही श्रेष्ठ धर्म है। अत्याचार का विरोध करो।श्रेष्ठ योनी में जन्म मिला है तो कर्म भी श्रेष्ठ करो। पेड़ से पत्ते तोड़ने में क्या शेखी बखारना । वो तो सभी तोड़ सकते हैं। धोखे से किसी की जान ले लेना वीरता है, किस धर्म में लिखा है। श्रेष्ठ वो जो पत्ता तोड़े ही नहीं और तोड़े तो जोड़ने की भी कला जानता हो। दूसरों को पुनर्जीवित करने की भावना रखता हो।
जितनी ऊर्जा संसार को नष्ट करने में लगाई जा रही है संसार को सुंदर रूप देने में लगाएं।यहीं स्वर्ग बन जाएगा। स्वर्ग यानि आनंद। सभी आनंद में रहें यही प्रार्थना, यही कामना, यही कर्म, यही धर्म । इस जीवन का यही मर्म।
सनातन धर्म की मूल भावना-
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे संतु निरामयाः।
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चित दुख भाग भवेत।।
-Gn