जियो अपने सम्मान से ___ गजल/गीतिका
जीते हैं हम शान से, कहते हैं हर इंसान से।
रहते क्यों हो परेशान से ,जियो अपने सम्मान से।।
एक दिन छूट जाएगा मेला, सबका इस जहान से।
तुम भी हम भी सभी तो मानव क्यों दूरी रखे इंसान से।
सरहदें सुरक्षित देश की अपने वीर जवान से।
चौकस हमें भी रहना होगा आंतरिक शैतान से।।
पैसा कौड़ी पास है फिर भी यदि उदास है।
सुख शांति पा लेना बंधु थोड़ा कुछ दे कर दान से।।
अहंकार के चोले ने घोले जहर के प्याले हैं।
निकाल बाहर कर देना इनको अंतश की म्यान से।।
युग नया बुरा नहीं कुछ व्यवस्थाएं भली नहीं लगती।
सभ्यता संस्कृति जाने नहीं देंगे अपने हिंदुस्तान से।।
दिव्य दृष्टि की वृष्टि से धरा को हरा बनाएंगे।
महकेगी अनुनय बगिया खिलते फूलों की मुस्कान से।।
राजेश व्यास अनुनय