जिम्मेदारियां
नातों का प्रेम भाव यार की यारियां
सब पे भारी पडी़ं चंद जिम्मेदारियां
ऐसा आया तूफां की उजड़ गए सभी
देखे रस्ता बहारों की फुलवारियां
लाख की कोशिशें छोडी़ं न कोई कसर
फिर भी हटती नहीं है ये लाचारियां
सारी खुशियां लुटा दीं अपनो पे मैंने
गमों से भर ली थी खुद की अलमारियां
खुशियां सारी मेरी ले वे खुश न हुए
कर रहें है मिटाने की तैयारियां
निकली उनके चिरागें नजर से जो थी
जिंदगी को जला गई ं वो चिंगारियां
उठ गया है भरोसा अपनों से मेरा
इतनी देखी है अपनों की गद्दारियां
लुट गया जब था सब तब नजर थी खुली
और उतरी थी सर से वो खुमारियां
जब जमाने ने ठुकरा दिया था मुझे
तब थी आगे न आईं ये रिश्तेदारियां
मेरा चैन मेरी खुशियां और मेरी हंसी
की कातिल बनी ये दुनियादारियां
विक्रम कुमार
मनोरा, वैशाली