जिन पर मैंने गीत लिखा था उनकी हुई सगाई है ……
जिन पर मैने गीत लिखा था उनकी हुई सगाई है
जो एक गीत था मन मे उन तक ना पहुँचाई है
दब के रह गई पर्वत सी एक कहानी,
हो गया वही जो होता आया अब हुई पराई है।
खुश है आज जो माला डाल मुस्काई है
कभी मेरी खातिर दीदी से खत पहुचाई है
मुझे देख बैठे कोने नज़र मिला इतराई है,
संगी है उनका पढ़ा-लिखा सुना फौज में अफसर है
भुला दूँगा मैं भी कुछ दिन में होता यही अक्सर है
जिन पर मैंने गीत लिखा था हुई उनकी सगाई है
मैं अब क्यों अपना कह दु हुई अब परायी है।
(अवनीश कुमार)