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25 Nov 2021 · 1 min read

जिन्हे अपनी पता नहीं ____ गजल / गीतिका

जिन्हे अपनी पता नहीं ___
याद वे दूसरों की रखते है।।
अपनी ही तारीफ होती रहे।
निंदा ओरो की करने से नहीं थकते है।।
गलतियां होती रहती है इंसानों से।
पर वे तो दूसरों की ही गलतियां तकते हैं।।
कर रहा है काम अपनी मर्जी का करने दीजिए।
उसकी व्यक्तिगत जिंदगी में काहे को झकते हैं।।
कहां रहता है किसी को होश शराब के नशे में।
कुछ लोग तो बिना पिए ही खूब बहकते हैं।।
पेट की भूख बुझ जाए बंदोबस्त कर दो कोई तो।
गरीबी से बिलखते लोग दिन-रात जगते है।।
परिश्रम मेरा काम जो मिलना है मिल जाएगा।
कर्म के ही हमेशा “अनुनय “मन में सपने सजते हैं।।
राजेश व्यास अनुनय

2 Likes · 2 Comments · 262 Views
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