जिन्दा रहे यह प्यार- सौहार्द, अपने हिंदुस्तान में
(शेर)- हमेशा रहे ये मुस्कराते चेहरें, अपने हिंदुस्तान में।
नहीं हो किसी में बैर – नफरत, अपने हिंदुस्तान में।।
आबाद हो हर जाति-धर्म-समाज, अपने हिंदुस्तान में।
शान से लहराये यह तिरंगा हमेशा, अपने हिंदुस्तान में।।
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जिन्दा रहे यह प्यार- सौहार्द, अपने हिंदुस्तान में।
खुशहाल रहे ऐसे सभी, अपने हिंदुस्तान में।।
यह लोकतंत्र मौजूद रहे , हमेशा हिंदुस्तान में
ऐसी हो रौनक हर उत्सव में, अपने हिंदुस्तान में।।
जिन्दा रहे यह प्यार-सौहार्द—————-।।
हर जाति-धर्म-समाज का, दिल से सम्मान हो।
भाषा-रंग और क्षेत्र पर,नहीं कभी अपमान हो।।
आबाद हर इंसान हो, अपने हिंदुस्तान में।
सपनें सभी के मुक्कमल हो,अपने हिंदुस्तान में।।
जिन्दा रहे यह प्यार-सौहार्द—————–।।
नहीं कोई कभी भी पाप हो, यहाँ अपने कर्मों से।
नहीं खून- बलवें-बर्बादी हो, यहाँ अपने कर्मों से।।
जाति- धर्मों में भाईचारा हो, अपने हिंदुस्तान में।
सलामत रहे कौमी एकता, अपने हिंदुस्तान में।।
जिन्दा रहे यह प्यार- सौहार्द—————–।।
शहीदों की कुर्बानी- तिरंगे को, हम कभी नहीं भूले।
आज़ाद हुआ भारत जिनसे, हमारे चेहरें हैं खिले।।
रहे चैनो- अमन कायम सदा, अपने हिंदुस्तान में।
देशभक्ति के नग़में गूंजे सदा, अपने हिंदुस्तान में।।
जिन्दा रहे यह प्यार- सौहार्द—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)