जिन्दगी
गजल
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बह्र-2122 1212 22
काफिया-आना
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ज़िन्दगी का अजीब अफ़साना
जिससे हर इक बशर है अनजाना।
इश्क का हर जवाब देगा वो
आग में जल रहा जो परवाना।
अपना ही प्यार खो गया है जब
क्यों कोई फूल देख ललचाना।
ख़्वाहिशें टूट कर हुई बेजाँ
दिल नहीं चाहता है मुस्काना।
चाँद की शक्ल ले मिला था जो
क्यों मेरा दिल उसे न पहचाना।
ज़िन्दगी क़ीमती है इसको तुम
ज़िस्म के खेल में न उलझाना।
डॉ. दिनेश चन्द्र भट्ट,गौचर(चमोली)उत्तराखण्ड