* जिन्दगी *
** गीतिका **
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जिन्दगी है मुस्कुराने के लिए।
गीत सुन्दर गुनगुनाने के लिए।
अब कभी पीछे नहीं मुड़ देखना।
हर कदम आगे बढ़ाने के लिए।
याद रख लेना अधिक मत सोचना।
गम नहीं होते भुलाने के लिए।
भोर में पंछी उड़े हैं जा रहे।
कर रहे कलरव जगाने के लिए।
कौन है अपना पराया जान लो।
वक्त कब आता बताने के लिए।
जान लो हर पल बहुत है कीमती।
प्यार की गंगा बहाने के लिए।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य, मण्डी (हि.प्र.)