जिन्दगी
बहुत छोटी होती है ,
हमारे बेजुबान साथियों की जिंदगी ।
बस ! १० – १२ साल या उससे भी कम ,
उसमें भी बेचारे कभी हादसों में मारे जाए,
या कत्ल कर दिए जाते हैं।
या अपंग करके छोड़ दिए जाते है ,
किसी को क्या मालूम !
ऐसे में भारी बोझ बन जाती है जिंदगी ।
यह दर्द तो वही जाने जिसपर गुजरी हो ।
इसलिए हे इंसानों ! अपने जमीर को जगाओ ,
क्योंकि जैसे तुम्हारी वैसे इनकी भी है जिंदगी ।