जिन्दगी
क्रिसमस ट्री जैसी सजी है जिन्दगी
कभी मुस्कराती दिखी है जिन्दगी
जब मिला है प्यार अपने लोगों से
पुष्प जैसी खिल उठी है जिन्दगी
मनुहार मिली है प्रियवर की जब
बाँध पायल नाचती रही है जिन्दगी
बहा है झरना नैन से आँसूओं का
छिपा मुँह सिसक उठी है जिन्दगी
रंग सतरंगी दिखा कर भी लुभाती है
दुख के बाद सुख लुटा रही है जिन्दगी
मन के सूने आँगन में राग जगा कर
मन उपवन खिलखिला रही है जिन्दगी