जिन्दगी है हमसे रूठी।
जिन्दगी है हमसे रूठी,
कैसे उसे मनाऊं।।
दिल में है वफाये मोहब्बत,
कैसे उसे दिखाऊं।।
वो मानते नहीं चाहत को मेरी,
क्या दिले चाक कर दिखाऊं।।
जन्नत है वो हमारी।
कैसे उसे बताऊं।।
दुनियां है उससे मेरी,
कैसे उसे समझाऊं।।
खुदा कोई रास्ता दिखाओ,
अकीदा उसका मैं पाऊं।।
ताज मोहम्मद
लखनऊ