* जिन्दगी में *
** गीतिका **
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जिन्दगी में दर्द पीड़ा कष्ट सब सहते रहो।
साथ हो संवेदनाएं बिन रुके बढ़ते रहो।
लोग हैं अपने पराए हर तरह के जब यहां।
बात मन की हर समय कुछ सोच कर कहते रहो।
ठेस जब कोई लगाता है बिना कारण हमें।
बात बीती मान लो परवाह मत करते रहो।
भावनाओं में हमेशा ही बहा करते सभी।
टूट जाए दिल कभी तो आह भी भरते रहो।
जिन्दगी खुशियों भरी तो ग़म बहुत भी साथ हैं।
है इसी में समझदारी मत रुको चलते रहो।
शब्द नफरत के सभी को तीर से चुभते बहुत।
कटु लगे जो बात कहने से सदा बचते रहो।
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-सुरेन्द्रपाल वैद्य